शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

एफ.डी.आई. से रोजगार बडेगा या रोजगार पाताल लोक मे जाएगा - व्यास


एफ.डी.आई. से रोजगार बडेगा या रोजगार पाताल लोक मे जाएगा - व्यास

खुदरा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश के कारण देश में रोजगार बढेंगे या .................?
संसद से लेकर सडक तक यह चर्चाएं आम हे कि देश में रोजगार बढेंगे या 20 करोड लोग जिंदगी मे सीधा नरक भुगतेंगे। आज पूरी दूनिया में विश्व व्यापार संगठन बडे वाणिज्यिक एवं व्यापारिक संगठनो के लिये अनुकुल माहोल बनाने पर तत्पर है। भारत सरकार एनकेन प्रकारेण एफ.डी.आई. को लाने पर आमादा है। बार-बार उदाहरण दिया जाता है कि चीन में भी 100 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को स्वीकार किया गया है। जबकि चायना ने उद्योग, तकनीक के क्षेत्र में आधारभूत ढाचा बहुत मजबूत कर लिया था इसके बाद ही उसने विदेशी निवेश को स्वीकार किया था आज लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा माल विदेशी कम्पनीया चायना का बना हुआ खरीद कर बेचती है। चायना आज दुनियाभर के लिये साफ्टवेयर, हार्डवेयर, सूती कपड़ा, खाद्यान, जीवन उपयोगी वस्तुएं एवं सेवाओं में प्रतिष्ठा हासिल कर चुका है। दुनियाभर की इलेक्ट्रोनिक कम्पनिया अपने पार्टस या एसेसरीज चायना से बनवाती है। कृषि एवं लघु उद्योग एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था चायना का आज भी भारत के मुकाबले में कई गुणा अच्छी हैै।े भारत में खुदरा क्षे़त्र में यह सही है कि खाद्य वस्तुओं से लेके पीने का पानी तक शुद्ध नहीं मिल रहा है और जो भी मिल रहा है वह भी लागत मूल्य से कई गुणा कीमत पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। पूंजीवादी भारत सरकार भारत के संविधान की शपथ में तो यह बोलती हे कि वह समाजवादी समाज की रचना करने के लिये वचनबद्ध है परन्तु सरकार का आचरण तो पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को साम्राज्यवादी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का महज ताबेदार बनाने पर टिका है। आज समता, समानता, स्वतंत्रता, गरिमामय जीवन समाप्त होता जा रहा है। मानवाधिकार, उर्जा के संसाधनों पर कुछ ही लोगों का कब्जा यह सभी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के पोषक है। अब वक्त आ गया है कि लोग खुद तय करे कि देश के संसाधनो पर कब्जा नागरिक समुदाय का हो या कथित रूप से पूंजीवादी व्यवस्था का। क्योकि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में तो केेवल उत्पादन, विनिमय, वितरण लाभ के लिये ही होता है और समाजवादी अर्थव्यवस्था में यह सभी कार्य समाज की जरूरत के हिसाब से होते है। जो लोग एफ.डी.आई. पर नूराकुश्ती कर रहे है उनको भी वोट डालते वक्त जरूर याद रखे। यही लोकतंत्र में मतदाता के लिये जागरूकता अभियान है।

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