भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास में राजनितिक लोगो का जितना योगदान रहा. उससे किसी भी मायने में कम योगदान समाचार पत्रों एवं पत्रिकओं का नहीं रहा था. चाहे हिंदुस्तान में नरम दल हो, चाहे या गरम दल दोनों ही विचारधाराओ की राजनीती को ताकत देने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. आज भी मीडि़या पर लोक हितों की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी आ पड़ी है। ऐसे में उसको लोकरूचि एवं लोकहितों के बीच लोकहितों को प्राथमिकता देते हुए विचार धाराओं का संचालन करना होगा। आज कार्पोंरेट मीडि़या एवं पबिलक मीडि़या के बीच खुला संघर्ष की सिथति उत्पन्न हो गर्इ है। आज जनता के हितों की सुरक्षा के लिए लोकमत तैयार करना आवश्यक हो गया है। क्यूंकि आज देश का आम व्यकित न केवल अशिक्षित हैं साथ ही वह उदासीन भी है। ऐसे हालातों में नागरिकों को मूल अधिकारों, मानवाधिकरों एवं कानूनीधिकारों की जानकारी देना मीडि़या की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। आज हिन्दी भाषा में लाखों की संख्या में बिकने वाले बड़े अखबारों की जिम्मेदारी बनती है कि वह हिन्दी भाषी लोगों में दुनिया में बदलते हुए हालातों से हिन्दी भाषा में अवगत कराये। क्यूंकि दुनिया का ज्ञान, विज्ञान इतिहास सहित्य, कला का ज्ञान किसी एक भाषा का मोहताज नहीं होना चाहिये। पबिलक मीडि़या की जिम्मेदारी है कि वह ज्ञान विज्ञान एवं रोजगार की भाषा हिन्दी को बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करें। ताकि 60 करोड़ हिन्दी भाषी लोग दुनिया में प्रतिपल बदलते हालातों से नावाकिफ न रहें। ऐसे हालात में इलेक्ट्रोनिक मीडि़या को या प्रिन्ट मीडि़या या सोशल मीडि़या सभी को मिलकर लोकहितों की सुरक्षा के लिए स्वहित से ऊपर उठकर कार्य करना होगा। तभी मानव समाज अपने उच्च नैतिक मूल्यों को प्राप्त कर पायेगा। समाज में गिरते हुए नैतिक मूल्यों के कारण ही भ्रष्टाचार, अनाचार एवं अन्यायपूर्ण व्यवस्था पल्लवित और पोषित हो रही है। ऐसे में लोकहितों की सुरक्षा करना प्रेस की भागीरथ भूमिका होगी।