मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

क्या आरक्षण की बैसाखियों की जरूरत आज भी वंचित वर्ग को-व्यास

आरक्षण शुरुआत में 10 साल के लिए शुरू हुआ था।लक्ष्य था देश के विकास में समुचित भागीदारी सनिश्चित करना।आज भी अनुसूचित जाति,जन जाति की भागीदारी सभी वर्ग में उतनी नही हुई जितनी होनी चाहिए थी।शिक्षा और रोजगार में आरक्षण आवश्यक था।आज मुद्दा है।पदोन्नति में आरक्षण मिलना चाहिए या नही। साथ ही सभी वर्ग की नोकरियों में बिना आरक्षण के लोग वहां तक पहुँच सकते है।जहां तक का लक्ष्य निर्धारित है।प्रथम व द्वितीय वर्ग की नोकरियों में वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नही है।एक ये भी मुद्दा अहम है कि राजनीति में आरक्षण यदि समाप्त कर दिया जाय तो क्या आज जितने सांसद विधायक एस टी,एस सी के जीत कर आ पाएंगे? शायद नही ! इसका अर्थ है।आज भी सामाजिक मानसिकता चिंताजनक है।महिला आरक्षण ने स्थानीय शासन में उन्हें पर्याप्त स्थान ही नही दिलाया बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी पैदा किया है।
    आज मुद्दा है कि संसद और विधानसभाओ में महिलाओं को 33%आरक्षण क्यो नही मिलना चाहिए ? यदि हाँ तो कौन है जो बाधक बना हुआ है? चर्चा होनी ही चाहिए।केवल महिलाओं का रहनुमा बनने से कुछ नही होगा।वाकई उनके प्रति न्याय का भाव है।तो 33%आरक्षण के लिए अध्यादेश जारी करना ही चाहिए।
   आज भी महिलाओं के विरुध्द अपराधों में इज़ाफ़ा ही हो रहा है।फिर भी कुछ लोग कह रहे है।महिलाएं कानून का दुरुपयोग करती है।देश और दुनिया मे ऐसा कोई कानून नही है।जिसका दुरुपयोग न हुआ हो।क्या कानून ही समाप्त कर दे? आज आयकर,कस्टम,सम्पदा कर,सहित 68 कानून ऐसे है जिनका खुला दुरुपयोग होता है।पर कोई नही हल्ला मचाता ।