बुधवार, 19 दिसंबर 2012

अब आरक्षण की बैसाखिया समाज मे किसी का भला नहीं करेगी बल्कि क्लेश ही करेगी - व्यास



     भारत के संविधान में समाज के वंचित वर्ग को राजनीति, शिक्षा व सरकारी नोकरियों के क्षेत्र में पर्याप्त भागीदारी देने के उदेश्य से अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को 10 वर्ष के लिये आरम्भ में आरक्षण दिया था। परन्तु राजनैतिक दलो की कुटिल चालो ने आज दिनांक तक भी अनुसूचित जाति जनजाति के लोगो को सरकारी नोकरियो में क्लास ए और बी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। एस.टी., एस.सी. के वोट को राजनैतिक पार्टिया वोट बेंक के रूप मे इस्तेमाल करने पर आमादा है। उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पदोन्न्ति में एस.टी, एस.सी. को आरक्षण दिया जाना अन्यायपूर्ण होगा साथ ही संविधान की भावनाओं के विरूद्ध भी होगा। परन्तु देश के राजनेता, दल यह देश को जवाब ही नहीं देना चाहते कि आज दिनांक तक आरक्षण का लाभ एस.टी. एस.सी के निम्न वर्गो तक क्यो नहीं पहुचा है। साथ ही आजादी के इतने लम्बे समय बाद भी आरक्षण को बार-बार क्यो बढाना पडा है ? देश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि देश के संसाधन खर्च करने के बावजुद भी देश के अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगो को रोजगार के क्षेत्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व क्यो नही मिल पाया है। सच्चर आयोग ने हिन्दुस्तान के मुसलमानो की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक स्थितियो का जो विश्लेषण पेश किया है वह भी कम चौकाने वाला नहीं है। मुसलमानो की स्थिति भी अनुसूचित जाति के लोगो से कम गई गुजरी नहीं है। इस प्रकार राजनैतिक पार्टिया एस.टी., एस.सी. व अल्पसंख्यक समुदाय को संविधान की भावनाओं के अनुसार न्याय देने के बजाय वोट बेंक की राजनीति करने पर आमादा है। यही त्रासदी इनके विकास की बाधा भी है। जहा तक अन्य पिछडे वर्ग का सवाल हे इस वर्ग के लोग भी पिछडे वर्ग के नेताओं के वोट बेंक के मोहरे बने हुए है। इसलिए इस देश में शान्तिपूर्वक न्यायहित में क्रान्तिकारी विचारो से लेष होके उपरोक्त वर्गो को न्याय दिलाने के लिये संघर्ष करना होगा। उल्लेखनीय है कि समाज का उच्च वर्ग भी अपने जाते हुए रोजगार के कारण आरक्षण की मांग कर रहा है। न्याय हित में ठीक ही होगा कि संविधान संसोध न करके उच्च वर्ग के गरीब लोगों को आरक्षण का लाभ दिया जाये एवं रोजगार शिक्षा के क्षेत्र में विकसित होने के लिये पर्याप्त सुविधाए दी जाये।

बुधवार, 12 दिसंबर 2012

विधि: विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द...

विधि:
विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द...
: विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द लगता है। आध्यात्मिक जगत में विधि के विधान का आशय विधाता द्वारा बनाये हुए कानून से है। जी...

विधि:                                           कानून क...

विधि:
                                          कानून क...
:                                           कानून के राज का खात्मा क्यों हो रहा है- व्यास      भारत के संविधान को जब लागू किया जा रहा था त...

विधि: दुनिया के उपभोक्ता एक हो। अपने शोष...

विधि: दुनिया के उपभोक्ता एक हो। अपने शोष...:                                                           दुनिया के उपभोक्ता एक हो।                                                      ...

विधि: भारत में लोकहितो की बजाय स्वःहित से प्रेरित होकर न...

विधि: भारत में लोकहितो की बजाय स्वःहित से प्रेरित होकर न...:      आजादी के बाद भारतीय राजनीति ने संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को स्वीकार किया। इस व्यवस्था में देश के व्यस्क नागरिक अपने प्रतिनिधियो...

विधि: एफ.डी.आई. से रोजगार बडेगा या रोजगार पाताल लोक मे ज...

विधि: एफ.डी.आई. से रोजगार बडेगा या रोजगार पाताल लोक मे ज...: एफ.डी.आई. से रोजगार बडेगा या रोजगार पाताल लोक मे जाएगा - व्यास खुदरा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश के कारण देश में रोजगार बढेंगे या ......

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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

एफ.डी.आई. से रोजगार बडेगा या रोजगार पाताल लोक मे जाएगा - व्यास


एफ.डी.आई. से रोजगार बडेगा या रोजगार पाताल लोक मे जाएगा - व्यास

खुदरा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश के कारण देश में रोजगार बढेंगे या .................?
संसद से लेकर सडक तक यह चर्चाएं आम हे कि देश में रोजगार बढेंगे या 20 करोड लोग जिंदगी मे सीधा नरक भुगतेंगे। आज पूरी दूनिया में विश्व व्यापार संगठन बडे वाणिज्यिक एवं व्यापारिक संगठनो के लिये अनुकुल माहोल बनाने पर तत्पर है। भारत सरकार एनकेन प्रकारेण एफ.डी.आई. को लाने पर आमादा है। बार-बार उदाहरण दिया जाता है कि चीन में भी 100 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को स्वीकार किया गया है। जबकि चायना ने उद्योग, तकनीक के क्षेत्र में आधारभूत ढाचा बहुत मजबूत कर लिया था इसके बाद ही उसने विदेशी निवेश को स्वीकार किया था आज लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा माल विदेशी कम्पनीया चायना का बना हुआ खरीद कर बेचती है। चायना आज दुनियाभर के लिये साफ्टवेयर, हार्डवेयर, सूती कपड़ा, खाद्यान, जीवन उपयोगी वस्तुएं एवं सेवाओं में प्रतिष्ठा हासिल कर चुका है। दुनियाभर की इलेक्ट्रोनिक कम्पनिया अपने पार्टस या एसेसरीज चायना से बनवाती है। कृषि एवं लघु उद्योग एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था चायना का आज भी भारत के मुकाबले में कई गुणा अच्छी हैै।े भारत में खुदरा क्षे़त्र में यह सही है कि खाद्य वस्तुओं से लेके पीने का पानी तक शुद्ध नहीं मिल रहा है और जो भी मिल रहा है वह भी लागत मूल्य से कई गुणा कीमत पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। पूंजीवादी भारत सरकार भारत के संविधान की शपथ में तो यह बोलती हे कि वह समाजवादी समाज की रचना करने के लिये वचनबद्ध है परन्तु सरकार का आचरण तो पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को साम्राज्यवादी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का महज ताबेदार बनाने पर टिका है। आज समता, समानता, स्वतंत्रता, गरिमामय जीवन समाप्त होता जा रहा है। मानवाधिकार, उर्जा के संसाधनों पर कुछ ही लोगों का कब्जा यह सभी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के पोषक है। अब वक्त आ गया है कि लोग खुद तय करे कि देश के संसाधनो पर कब्जा नागरिक समुदाय का हो या कथित रूप से पूंजीवादी व्यवस्था का। क्योकि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में तो केेवल उत्पादन, विनिमय, वितरण लाभ के लिये ही होता है और समाजवादी अर्थव्यवस्था में यह सभी कार्य समाज की जरूरत के हिसाब से होते है। जो लोग एफ.डी.आई. पर नूराकुश्ती कर रहे है उनको भी वोट डालते वक्त जरूर याद रखे। यही लोकतंत्र में मतदाता के लिये जागरूकता अभियान है।