शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

भीड़ तंत्र हावी हो रहा है लोक तंत्र पर-व्यास

2014 में मोदी जी के नेतृत्व में वो सरकार बनी जो हिन्दुसभा की पृष्ठभूमि में पली बढ़ी।संघ परिवार देश को हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए जायज नाजायज सब तरीके अपनाता रहा है।आजादी से पहले तक संघ परिवार ने कोई उल्लेखीय आजादी के आंदोलन में भूमिका नही निभा सका।वह जाने अनजाने में अंग्रेजो के नापाक इरादों को ही कामयाब बनाता रहा।कांग्रेस,क्रांतिकारी नेताओ,कम्युनिष्ठों से भी कभी नही जुड़ा।केवल निराशा हताशा की ही राजनीति करता रहा।मुस्लिम लीग ओर हिन्दु महासभा दोनों ही दल सम्प्रदायवादी राजनीति में लगे रहे।दोनों ही दल द्विराष्ट्रवाद की अवधारणा पर ही आचरण व्यवहार करते रहे।आखिर दिनों ही दल भारत के विभाजन को नही रोक पाए।वो चाहते भी थे कि देश हिन्दूराष्ट्र ओर मुस्लिम राष्ट्र अलग अलग हो जाये।अंग्रेज भी यही चाहते थे।आजादी के पहले हिंदू और मुस्लिम आबादी भारत मे निर्णायक ताकत थी।जिसे अंग्रेजो ने विभाजित किया ओर मुस्लिम लीग ओर हिन्दू महासभा संघ सब उनके नापाक इरादों को नही समझ पाए।आज तक भी नही समझ पा रहे है।आज भी भीड़ की आड़ लेकर लोकतांत्रिक ताने बाने,संस्कृति,संस्थाओं पर हमले करवा रहे है।आज सब कुकर्म भीड़ की आड़ में हो रहे है।हिन्दू मुस्लिम कार्ड,गाय गंगा,राम मंदिर,धारा 370,लव जिहाद सब काम भीड़ की आड़ में किये जा रहे है।कानून के शासन को धत्ता बताकर अपने विभाजनकारी एजेंडे पर संघ परिवार काम कर रहा है।सरदार पटेल को राजनीति में अपने स्वार्थ के लिए घसीट रहे है।जबकि सब जानते हैकि संघ सरदार पटेल के विचारो का विरोधी रहा है।सावरकर की विचारधारा के लोग सरदार पटेल के भक्त होने का स्वांग कर रहे है। 2019 निर्णायक होगा।या तो भीड़तंत्र हावी होगा या उखड़ जाएगा।

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