बुधवार, 20 मई 2020

मन बदले तो, दुनिया बदले -व्यास

*मन पर बुध्दि का नियंत्रण कर हम इस दुनिया में अच्छा स्वास्थ्य हासिल करेंगे-व्यास*

आज तक दुनिया में मन की गति को कोई व्यक्ति नहीं जान पाया है मन को भी इन्द्रीय ही मन गया है, मन काम वासना से लेकर कल्याणकारी परोपरी विचारो तक में भ्रमण करता रहता है, मन की गति सूर्य की गति से भी तेज हो सकती है, कहते है मन तीनो लोको में कुछ क्षणमात्र में घूम आता है मन अति चंचल है काम, क्रोध लोभ, मोह, मद आलस्य सब ही मन में पैदा होते है और तिरोहित भी हो जाते है, सतो तमो रजो गुण इस मन से जुड़े विषय गन है अपराधी भी ये ही मन बनता है और अपराधी से कवि और संत तक भी ये ही मन बना देता है तब ही तो बालिया भील से महर्षि वाल्मीकि हो गए और दुनिया में रामायण जैसा महाकाव्य दिया जो संस्कृत साहित्य की धरोहर है बुध्दि ही हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है का ज्ञान देती है जिसकी बुद्धि वैज्ञानिक पद्दति से संचालित होती है, वो व्यक्ति भावुक नहीं होगा !और निर्णय क्या क्यों कैसे किस लिए पर विचार कर ही लेगा ऐसे निर्णय लगभग गलत नहीं होंगे जो व्यक्ति दुसरो पर आश्रित होगा वो भेद चल चलेगा और कभी खड़े में गिर सकता है अंधविश्वासी खतरनाक व्यक्ति होते है जो कुतर्क करते ही है क्यों की उनका ज्ञान दूना सुनाया है वो शास्त्रों और संतो की वाणी का उदहारण देंगे पर खुद का अनुभव शून्य !!ऐसे लोग ही समस्या की जड़ होते है .मन बुद्धि और संस्कार को बदले दुनिया तो खुद ही बदलेगी !!

*अपने शुभचिंतकों को फॉरवर्ड करें।*
आभार - GyanApp

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